Dard Ka Samandar (Navalkatha) By Usha Jain दर्द का समंदर - उषा जैन 'शीरीं ' प्रसंशा और वह भी देर से डमी तोहफ़ों के साथ उसे अक्षत से भी मिली थी लेकिन वो शादी के शुरू के दिनों की बात है । अपने इर्द-गिर्द फैले ऐश्वर्य ,असीमित अय्याशी ,भोग विलास की जिंदगी बंधी बंधाई तनख्वाह के साथ इनका किसी तरह सामंजस्य नहीं बैठता था । उसने प्रतिवाद करने की कोशिश की तो उनके दांपत्य में दरार पड़नी शुरू हो गयी ।