कृष्णायन - काजल ओझा-वैद्य
कृष्ण एक ऐसा व्यक्तित्व है, जिन्हें आप ‘विराट’ कह सकते हैं। ‘महाभारत’ में कृष्ण एक राजनीतिज्ञ के रूप में प्रकट होते हैं तो ‘भागवत’ में उनका दैवी स्वरूप दिखायी देता है। ‘गीता’ में वे गुरु हैं, ज्ञान का भंडार हैं। ईश्वर होते हुए भी उन्होंने मानव का ही जीवन जीया। वे एक ऐसे इनसान हैं, जिनका शरीर शायद यह दुनिया छोड़कर चला गया, परंतु आत्मा की प्रबलता, स्वच्छता या दिव्यता सर्वव्यापी बन गयी।
मृत्यु को देख चुके, अनुभव कर चुके कृष्ण जीवन के अंतिम क्षणों में जीवन की कुछ घटनाओं को फिर एक बार देखते हैं, उनकी अनपभूति करते हैं, उन्हें फिर जीते हैं। जीवन के अंतिम प्रयाण से पहले के कुछ क्षणों का सूक्ष्म पड़ाव है - ‘कृष्णायन’।
प्रस्तुत पुस्तक में वह कृष्ण है, जिन्हें आप कॉफी की टेबल पर सामने देख सकते हैं। ये वे कृष्ण हैं, जो आपकी दैनिक दिनचर्या में आपके साथ रहेंगे। ये कोई योगेश्वर, गिरधारी, पाञ्चजन्य फूँकने वाले, गीता का उपदेश देने वाले कृष्ण नहीं हैं। ये तो आपके साथ मॉर्निंग वॉक करते-करते आपको जीवन का दर्शन समझाने वाले आपके ऐसे मित्र हैं, जिन्हें आप कुछ भी कह सकते हो और वे वैल्यूशीट पर बैठे बिना आपको समझाने का प्रयास करेंगे।
हमारा विश्वास है कि अगर आप कृष्ण को अपना मानोगे तो वे आपको इतना अपना लगेंगे कि आपको कभी किसी मित्र की, किसी सलाहकार अथवा किसी के सहारे की खोज नहीं करनी पड़ेगी।
काजल ओझा वैद्य
काजल ओझा वैद्य गुजराती साहित्यिक जगत् का एक विशिष्ट नाम है, जिन्होंने मीडिया, थिएटर और टेलीविजन पर विविध भूमिकाएँ निभाई हैं। उन्होंने सात लोकप्रिय नाटक तथा तेरह उपन्यास भी लिखे हैं। ‘संबंध... तो आकाश’ (कहानी संग्रह) तथा ‘शेष यात्रा’ (कविता संग्रह) के अलावा अनेक टी.वी. सीरियल तथा ‘एक डालना पाँखी’, ‘माँ’, ‘सात ताडी’, ‘एक मोती एकलव्यून’, ‘धाबकार’, ‘तलाश’, ‘अपने पराए’, ‘कोई सपनों के दीप जलाए’, ‘कुछ ख्वाब कुछ हकीकत’ और ‘महासती सावित्री’ का भी लेखन किया है।
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