Aankh Ki Chori (Hindi Upanyas) by Krishna Chander आँख की चोरी - कृश्न चन्दर ‘मैं जो कभी रोया, एकाएक रोने लगा, टप - टप मेरे आंसू उसके चेहरे पर बहने लगे। मगर ये ख़ुशी के आंसू थे, ...वे किसी और मतलब से बंधे थे, पर न जाने कैसे दो दिलों में एक नयी चीज़ पैदा हो गई - चाहत...।’ अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथा - शिल्पी कृश्न चन्दर की सरस लेखनी से उपजा उपन्यास है ‘आंख की चोरी’, जिसमें व्यंग्य, विद्रुप, किस्सागोई तथा रोमानियत का सम्मिश्रण है, जो पाठक को अभिभूत कर देता है। इसमें एक प्रेम - कथा तो चलती ही है, साथ ही प्राचीन मूर्तियों के चोरों के गिरोह की सनसनीखेज कहानी भी पाठक को बांधे रखती है। कृश्न चन्दर प्रख्यात कहानीकार एवं उपन्यासकार थे। ये महाराष्ट्र में जन्मे, लेकिन अपनी लेखनी के बल पर इन्होंने सारी दुनिया में भारत का नाम गौरवान्वित किया। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने इन्हें 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।