Tajikshastra (Varshfal Ki Ekmatra Sandarshika) By Raj Kishore Vishwakarma
ताजिकशास्त्र ( वर्षफल की एकमात्र संदर्शिका ) - प्रोफेसर राज किशोर विष्वकर्मा
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की तीन पद्धतियों-पाराशरी,जैमिनी और ताजिक में से ज्योतिष शास्त्र के होरा-स्कंध में ताजिक ज्योतिष का समावेश होता है। जातक की पूर्ण आयु में प्रतेयक वर्ष के वर्ष प्रवेश समय को जानकर वर्ष कुंडली द्वारा वर्ष प्रयत्न जातक के प्रतेयक मॉस, दिन व् दिनार्ध से भी सूक्ष्म समय का शुभाशुभ फलों का ज्ञान करना फलित ज्योतिष-ताजिक शास्त्र का काम है। इसीलिए वर्ष कुंडली का जन्म कुंडली से धनिष्ठ सम्बन्ध है। इस संदर्भ में हिन्दू मनीषियों और ज्योतिवेर्दो द्वारा की गई रचनाए मुख्यता ताजिक नीलकण्ठी, हायन् रत्न और केशव द्वारा रचित ताजिक शास्त्र आदि अत्यंत अनूठे ग्रन्थ है।
आचार्य नीलकंठ सोलहवीं शताब्दी में ताजिक नीलकंठी की रचना तीन तंत्रो - संज्ञातन्त्र, वर्षतंत्र, प्रश्नतंत्र में की थी। संज्ञातन्त्र अन्य दोनों तंत्रो का आधार है। इस तंत्र द्वारा वर्ष प्रवेश का ज्ञान, गणित-गणना, बलाबल दृष्टी विचार, सहम, मुंथा और 16 योगो का विचार किया जाता है।