स्वयं बने ज्योतिषी ज्योतिष का उद्गम गुफा मानव के साथ हुआ, जो बाद में वेदों में प्रकट हुआ। गुफा मानव आरंभ से ही महान खोजी आविष्कारक, मानव व्यवहार का अध्येता, विचारक व वैज्ञानिक था, उसे चीजों को समझने में काफी समय लगा किंतु अपने अध्ययन के परिणामस्वरूप वह न केवल मानव व्यवहार के विषय में निश्चयात्यक विचार बनाने में सफल हुआ अपितु उसने मानवीय संवेदनाओं को समझने की कला को भी जानने का प्रयास किया। इस प्रकार गुफा मानव ने सभ्यता की ओर कदम बढ़ाए। ब्रह्माण्ड व उसमें निहित तत्वों का ज्ञान अपने चरमोंत्कर्ष पर था जबकि उसने उन्हें वेदों में संग्रहित किया, अत वेद विश्व के समस्त ज्ञान का अक्षय भंडारहैं जिनमें ज्योतिष को नेत्र कहा गया है जिसके द्वारा व्यक्ति सबको देख व समझ् सकता है। पृष्ठ दर पृष्ठ मैंने उन्हीं मैंने उन्हीं रहस्यों को इस पुस्तक में खोलनेका प्रयास किया है जिसे हम ‘ज्योतिष के रहस्य’ का नाम दे सकते हैं।