स्वर शास्त्र Swar Shastra by Shri Swami Harihardas Tyagi मनुष्य जैब नाक के नथनो से वायु ग्रहण करता है तो वह श्वास है तथा जैब नाक के नहथनो से प्राण वायु नि:सृत करता है तो वह 'प्रश्वस की गहन विधा को जानने का नाम स्वर शास्त्र है। भारतीय ज्योतिष मे सर्वप्रथम स्थान रखने वाली एस स्वरोदय विधा पर बहुत ही कम शोध कार्य हुअा है। इन संस्कृतनिष्ठ प्राचीन तंत्र ग्रंथो एवम लुप्तप्राय स्वरज्ञान के साहित्य को एकत्र करके स्वामी श्री हरिहर दास त्यागी जी ने अनेको वर्षो तक प्योर भारत मे भ्रमण करके प्रयोग किए टैब इसके अनुभवगम्य ज्ञान को सरल दोहो मे प्रस्तुत किया है। योग एव ज्योतिष के एस संयुक्त शास्त्र मे मनुष्य जीवन के विभिन्न भविष्यफल बताने की अदभुत शक्ति है। एस पुस्तक का अंतिम ब ध्यान साधना एव कुंडली शक्तिपात के साधको के लिए भी उपियोगी है।