Vishwa Mithak Saritsagar (Hindi) By Ramesh Kuntal Megh
विश्वामिथकसरित्सागर
डॉ रमेश कुंतल मेघ द्वारा रचित विश्व में प्रकाशित #हिन्दी का पहला समग्र महान ग्रन्थ:
o विश्व के लगभग 35 देशों की मिथक-गाथा
o विश्व की धरोहर 9 संस्कृतियों की मिथक-चित्र-आलेखकारी
o विश्व के मिथक-भौगोलिक मानचित्रों का लेखा-जोखा
o दुर्लभ चित्रफलकों की कूची से उकेरती विश्वमिथक गाथाएँ
o लगभग 600 अनुपम-अतुल्य रंगीन चित्रों से सज्जित ग्रन्थ
o मिथोलॉजी से मिथोग्राफी तक की अनवरत विश्वमिथक-गाथा
o सभ्यता-संस्कृति-नस्ल एवं समय-सारणियों का अनूठा मिश्रण
o मिथक-केन्द्रित कलाकृतियों के माध्यम से भी आगे ‘चे’ ग्वेरा से भगत सिंह तक की परिणति
About the Author:
पचहत्तर पार। जाति-धर्म-प्रान्त से मुक्त। देश-विदेश के चौदह-सोलह शहरों के वसनीक यायावर।
भौतिक-गणित-रसायन शास्त्रात्रयी में बी.एससी.(इलाहाबाद), फिर साहित्य में पीएच. डी. (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी)।
अध्यापन : बिहार यूनिवर्सिटी (आरा), पंजाब यूनिवर्सिटी (चंडीगढ़), गुरुनानकदेव यूनिवर्सिटी (अमृतसर), यूनिवर्सिटी ऑफ आरकंसास पाइनब्लक (अमेरिका)।
कार्ल मार्क्स के ध्यान-शिष्य, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अकिंचन शिष्य।
सौन्दर्यबोध शास्त्र, देहभाषा, मिथक आलेखकार, समाजवैज्ञानिक वैश्विक दृष्टिकोण के विनायक- अनुगामी, आलोचिन्तक।
इस ‘विश्वमिथकसरित्सागर’ नामक प्रथम हंसगान के सहवर्तन में ‘मानवदेह और हमारी देहभाषाएँ’ नामक दूसरा ग्रन्थ 2015 में ही प्रकाश्य।
अथच अनन्त काल तथा विपुल पृथ्वी वाले भवभूति-सिन्ड्रोम के अनागत प्रीत और कीर्ति के आवरण झिलमिलाता हुआ...आहिस्ता...आहिस्ता...आहिस्ता!
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