Vedanga Jyotisham By Sureshchandra Mishra
वेदांग ज्योतिषम् - डॉ.सुरेशचन्द्र मिश्र
वेदांग ज्योतिष आज तक उपलब्ध ग्रन्थों में प्राचीनतम रचना है। इसे महर्षि लगध ने बहुत सुव्यवस्थित ढंग से विचार व् उदापोहपूर्वक वेदांग काल में कहा था।ऋग्वेद व् यजुर्वेद से सम्बंधित ज्योतिष ग्रन्थ को संयुक्त रूप से वेदांग ज्योतिष कहा जाता है। अथर्व ज्योतिष का ग्रहण इनके साथ नहीं होता है। वह बाद की रचना समजी जाती है।प्राचीन कल से बीसवीं सदी तक वैदिक ब्राह्मणो की यह परम्परा रही है की वे इसका पाठ प्रतिदिन अवश्य करें। वेदो की तरह, वेदांग ज्योतिष भी श्रुति परम्परा से हमें प्राप्त हुई है।
1 ऋकज्योतिष पर कोई प्राचीन टिका उपलब्ध नहीं होती है, लेकिन यजु : ज्योतिष की सबसे पुरानी उपलब्ध टिका सोमाकर द्वारा लिखी गई थी। सोमाकर का समय बुद्ध के आसपास प्रतीत होता है। 2 ऐसी टिका से हमें जानकारी मिलती है की सोमाकर से पहले भी कुछ टिकाए यजु : ज्योतिष पर लिखी गई थी। 3 19 वि सदी से पहले कोई व्यवस्थित उत्तम कार्य वेदांग ज्योतिष पर नहीं किया गया था।