Vaivahik Sukh Jyotishiya Sandarbh by Mrudula Trivedi वैवाहिक सुख ज्योतिषीय संदर्भ विवाहकाल परिज्ञान एक दुष्कर एवं जटिल प्रक्रिया है। इस संदर्भ में द्वितीय एवं सप्तम भाव के अतिरिक्त चतुर्थ एवं नवम भाव की निर्णायक भूमिका, शुक्र के अतिरिक्त राहु एवं चन्द्रमा का महत्त्व एवं अनेक शोधात्मक बिन्दुओं को सूत्रबद्ध करके ‘विवाह कब होगा’ के प्रश्न का सुनिश्चित और सरल उत्तर पाठकों के हितार्थ प्रस्तुत किया गया है। सुख दाम्पत्य हेतु वर कन्या का जन्मांगों के परम्परागत मिलान के अतिरिक्त इस क्षेत्र में किये गये शोधपरक सूत्रों को प्रथम बार उद्घाटित किया गया है। बाल्यकाल से ही अपने जीवन सहचर के प्रति जिज्ञासा एवं कौतूहल स्वाभाविक है। इस सम्बन्ध में पति का व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्तर, कुटुम्ब एवं पत्नी के सौन्दर्य, वर्ण, गुण-दोष, चारित्रिक गरिमा आयु का अन्तर आदि के ज्ञानार्थ आवश्यक सामग्री सन्निहित की गई। इसी प्रकार कन्या के प्रथम ऋतुकाल को, विवाह से सम्बद्ध मुहुर्त एवं एक से अधिक विवाह की समकालीन, बहुकोणीय, बहुपक्षीय व्याख्या प्रस्तुत की गई है। प्रस्तुत परिवर्द्धित और परिमार्जित संस्करण में अनेक नवीन अध्यायों तथा सारगर्भित सघन सामग्री का समावेश करके रचना की समग्रता को अधिक उपयोगी रूप में प्रस्तुत किया गया है। ‘मंगली दोष का संत्रास-दाम्पत्य विघटन एवं परिहार’ तथा ‘ज्येष्ठ नक्षत्र में जन्म : संतप्त दाम्पत्य जीवन’ नामक अध्यायों में पाठकों के अनवरत अनुरोध के पश्चात् दुर्लभ सामग्री का समावेश किया गया है। ‘प्रथम रजोदर्शन’ तथा ‘स्फुट संदर्भ-बिन्दु’-अध्याय में शास्त्रसंगत सामग्री में वर्णित परीक्षित प्रचुर सामग्री का भी उपयोग किया गया है। ‘वैवाहिक सुख : ज्योतिषीय संदर्भ’ के 19 अध्यायों में दाम्पत्य जीवन के समस्त पक्षों का विस्तृत और सांगोपांग संपूर्ण विवेचन तथा दाम्पत्य से संदर्भित विषयों के जटिल प्रश्नों का उत्तर यह कृति अवश्य प्रदान करेगी, यह दृढ़ विश्वास है।