सिद्धार्थ - हर्मन हेस
Siddhartha (Hindi Translation) Hermann Hesse
नोबल पुरस्कार प्राप्त लेखक की अविस्मरणीय कृति "शांति हमारे भीतर ही प्राप्त होती है, हमारे बाहर नहीं... निर्वाण हेतु स्वयं प्रयत्न करो और इसकी प्राप्ति के लिए दूसरों पर निर्भर मत रहो I " - सिद्धार्थ हर्मन हेस के इस उपन्यास में मानव जीवन के कर्मों से प्राप्त अनुभवों को सत्य की अनुभूति के लिए सर्वोत्तम मार्ग के रूप में दिखाया गया है I यह अनुभूति बौद्धिक विधियों को अपना कर, भौतिक सुखों को भोग कर अथवा सांसारिक दुखों से गुज़र कर प्राप्त नहीं की जा सकती, बल्कि इन अनुभवों की सम्पूर्णता ही जीवन-मुक्ति की और ले जाती है। सिद्धार्थ को भी इसी राह पर चल कर ज्ञान का बोध हुआ ।
यह कथा एक ब्राह्मण पुत्र सिद्धार्थ की है, जो सन्यास ग्रहण करने के लिए अपने साथी गोविंद के साथ गृह त्याग देता है और दोनों ज्ञान की खोज में निकल पड़ते हैं । सिद्धार्थ लम्बे समय तक प्रेम और व्यापार की गतिविधियों में ड़ूबे रह कर निर्वाण से अछूते रहे । किन्तु फिर भी वे क्रियाएँ सिद्धार्थ को मार्ग से भटकने वाली न होकर उन्होंने विभिन्न अनुभवों द्वारा सीख देने वाली सिद्ध हुई । अंत में, सिद्धार्थ को ज्ञान का बोध किसी गुरु के माध्यम से न होकर एक नदी के ज़रिये हुआ। हरमन हेस एक जर्मन-स्विस कवि, उपन्यासकार, और चित्रकार थे I 1946 में, उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था। उसका सबसे प्रसिद्द कृतियों में स्टेपपेनवुल्फ , सिद्धार्थ, और द ग्लास बीड गेम (जिसे Magister Ludi के नाम से भी जाना जाता है) जो एक व्यक्ति की समाज के बाहर आध्यात्मिकता की खोज पर आधारित है।