रामकथा – नरेन्द्र कोहली रामचरित्र पर आधारित यह एक उपन्यास एसा महाकाव्यात्मक मौलिक उपन्यास है, जिसमे अतीत की कथा को वर्तमान संदर्भो में नवीन द्रष्टियुक्त और सजीव कर दिया गया है। इसमे लेखक ने राम के चरित्र और उनके जीवन की घटनाओ के माध्यम से, मानव और उसके बाह्य जगत के सरोकारो को मार्मिक ढंग से मूर्तिमान किया गया है। इस वृहदाकार राम-कथा में सात पड़ाव है। पहले सोपान दीक्षा में सत्य और न्याय पर केन्द्रित नए समाज की स्थापना की गई है। 'अवसर' में अप्रासंगिक हो चुकी रुढिओ का विरोध है। अगले सोपान 'संघर्ष की और' में पीड़ित नारी की मुक्ति, बुढ्ढी जीवियो का सत्ता से अस्वस्थ गठजोड़, तथा दमित समाज के स्वस्थ जागरण तथा संगठन को प्रस्तुत किया गया है। 'साक्षात्कर' में शूपर्णखा के षड्यंत्र, सीताहरण और राजनीति की कुटिलता का वर्णन है। 'युद्ध' में राम-रावण के युध्ध को व्यक्तियो नहीं, विचारो के युध्ध, न्याय-अन्याय के युध्ध के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वृहदाकार महाकाव्यात्मक उपन्यासो के कुशल सर्जक नरेन्द्रकोहली की सशक्त लेखनी से उपजी एक कालजयी कथाकृति।