पाटन का प्रभुत्व - कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी Patan Ka Prabhutva (Hindi Book) By Kanaiyalal Munshi 'पाटन का प्रभुत्व' प्रख्यात साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की महत्वाकांक्षी उपन्यास माला 'गुजरात गाथा' का प्रथम पुष्प है और इतिहास प्रसिद्ध गुर्जर साम्राज्य के अंतिम गौरवपूर्ण अध्याय को गल्प रूप में उभारता है| गुर्जर साम्राज्य के संस्थापक मूलराज सोलंकी (९४२-९९७ ई.) ने अपने यशस्वी कार्यों से अनहिलवाड़ पाटन का नाम समूचे देश में गुँजा दिया था| उन्हीं की पांची पीढ़ी में कर्णदेव (१०७२-१०९४ ई.) सत्तासीन हुआ| उसने अपनी स्वतंत्र राजनगरी कर्णावती स्थापित की| उसका विवाह चंद्रपुर की जैन राजकुमारी मीनल से हुआ और उससे जयदेव नाम का एक पुत्ररत्न प्राप्त हुआ, जिसे आगे चल कर सिद्धराज के विरुद से विभूषित होकर कीर्तिपताका फहरानी थी|