Paramhans Yogananda Jaisa Maine Unhe Jana by Roy Eugene Davis Hindi Translation of Paramahansa Yogananda: As I Knew Him by by Roy Eugene Davis परमहंस योगानन्द सन् 1920 में भारत से अमेरिका की यात्रा पर गए। उनका उद्देश्य जिं़दगी के तमाम रास्तों पर लोगों को सही मायनों में चलना सिखाना था, ताकि उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा विकसित हो सके और अपने तथा ईश्वर के सच को जगाया जा सके। उन्होंने क्रिया - योग की अवधारणा पर ज़ोर दिया, जो गहरे आध्यात्मिक अभ्यास द्वारा हरेक के ध्यान को एकाकार (योग) कर सकता है और जागरूकता को अनंत बना देता है। अपने बत्तीस साल के इस आध्यात्मिक सेवा - काल में उन्होंने लोगों की बहुत भारी भीड़ को संबोधित किया, जिसमें एक सौ - हज़ार तक शिष्यों ने हिस्सा लिया। परमहंस पुस्तकें लिखने के साथ - साथ पत्रिकाओं में लेखन का कार्य भी करते रहे। उन्होंने अनेक आश्रम और मंदिर भी बनवाए। एक संस्थान का संचालन भी किया, जिसका काम सारी दुनिया में उनकी शिक्षाओं को फैलाना है। राॅय यूजीन डेविस परमहंस योगानन्द से दीक्षा पाने वाले ऐसे शिष्य हैं, जिन्होंने उनसे आत्मीयता प्राप्त की तथा आध्यात्मिक रूपान्तरण से गुज़रे। उन्होंने ध्यान व आध्यात्मिक विकास की शिक्षा का कार्य समर्पित भाव से किया तथा कई पुस्तकें लिखीं, जो अनेक भाषाओं में छप चुकी हैं। वह ‘सेन्टर फ़ाॅर स्प्रिचुअल अवेयरनेस’ के संचालक भी हैं। ‘परमहंस योगानन्द : जैसा मैंने उन्हें जाना’ उन्हीं की अंग्रेज़ी में प्रकाशित पुस्तक का हिन्दी अनुवाद है। इसकी भाषा और शैली इतनी प्रभावी तथा रोचक है कि पाठक के अन्तर्मन में गहरे तक उतरती चली जाती है।