न भूतो न भविष्यति - नरेन्द्र कोहली 'न भूतो न भविष्यति' स्वामी विवेकानंद की जीवनी नहीं है। यह उनके लक्ष्य, कर्म और संघर्ष के आधार पर लिखा गया एक उपन्यास है. वे सन्यासी थे, अतः सर्वत्यागी थे। मद्रास की एक सभा मे उनका परिचय देते हुए कहा गया था की वे अपना घर परिवार,धन संपति, मित्रा बंधु, राग द्वेष तथा समस्त सांसारिक कामनाएँ त्याग चूके हैं। इस सर्वस्वत्यागी जीवन में यदि अब भी वे किसी से प्रेम करते हैं तो वह भारत माता है,और यदि उन्हे कोई दुख है, तो भारत माता तथा उसकी सन्तान के अभावो और अपमान का दुख है।