Muhurt Chintamani By Sureshchandra Mishra
मुहूर्त चिन्तामणि - डॉ.सुरेशचन्द्र मिश्र
भविष्य के प्रति सचेत रहना व् भावी अनिष्ट का बचाव करना, ये दो ही तत्व आजकल मानव समाज को ज्योतिष जगत से जोड़ने के मूल तत्व है। मौसम व् जलवायु की अनुकूलता को विचार कर बोया गया बीज पूरा फल देता है। उसी तरह शुभ घड़ी वेला में किया गया कार्य पूर्ण फलीभूत होता है। इसी मन्तव्य पर ज्योतिष की मुहूर्त शाखा टिकी है। प्रामाणिक, गुणात्मक से युक्त, विस्तृत हिन्दी व्याख्या व् साथ ही संस्कृत टिका से भी युक्त 'मुहूर्तचिन्तामणि' का यह संकरण एक निश्चित दिशा देता है।
1 सभी कार्यो के क्रमबद्ध मुहूर्तो की सुनिर्णीत श्रुंखला। 2 वास्तु का व्यवहारिक ज्ञान देने वाला पृथक प्रकरण। 3 कुण्डली मिलान पर विस्तृत व सुबोध प्रचलित सामग्री। 4 नामकरण, विवाह, यात्रा, गृहप्रवेश आदि का मुहूर्त स्वय भी निकाला जा सके। 5 वैदिक भारतीय संस्कृति के लुप्तप्राय : कर्मो की सुमुहूर्त प्रस्तुति। 6 सभी आवश्यक संस्कारो का प्रामाणिक विवेचन तथा उनके शुभ मुहूर्त। 7 रामदैवज्ञ द्वारा स्वयं लिखी गई संस्कृति टिका प्रमिताक्षरा। 8 नए पाठको तथा विद्वानो के लिए आवशयक संग्रहणीय ग्रन्थ।