Maurya Samrajya Ka Itihas By Satyaketu Vidyalankar
मौर्य साम्रज्य का इतिहास - सत्यकेतु विधालकार
भारत के इतिहास में मौर्य साम्रज्य का महत्व बहुत अधिक है। ऐतिहासिक विनसेण्ट ए स्मिथ ने इस साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यविस्तार का वर्णन करते हुए लिखा है की "दो हजार साल से भी अधिक हुए, भारत के प्रथम सम्राट ने उस वैज्ञनिक सीमा को प्राप्त कर लिया था जिसके लिए उसके ब्रिटिश उत्तराधिकारी व्यर्थ में आहे भरते रहे और जिसे सोलहवीं तथा सत्रहवीं सदियों के मुग़ल सम्राटो ने भी कभी पूर्णता के साथ प्राप्त नहीं किया।
" शस्त्र शक्ति और दण्डनीति के प्रयोग से प्राय: सम्पूर्ण भारत में एक साम्राज्य की स्थापना कर मौर्य वंश के राजाओ ने अपनी असाधारण शक्ति का उपयोग धर्म द्वारा विशव की विजय के लिए किया। चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र राजा अशोक ने देश-देशान्तर में भारतीय सभयता,संस्कृति और धर्म के प्रचार के लिये जो उधोग किया, विश्व के इतिहास में वह वस्तुत: अनुपम है। मौर्य - युग को भारतीय इतिहास का सुवर्ण-युग मानना सवर्था समुचित और युक्तिसंगत है।