महाराजा - दिवान जर्मनीदास
Maharaja (Hindi Edition) By Diwan Jarmani Dass
हिंदुस्तान के राजा-महाराजाओं की निजी जीवनचर्चा,प्रेम-प्रसंग और षड़यंत्र।
भारत के महाराजाओं की ज़िदगी, प्यार और साजिशों में डूबी कहानियाँ सचित्र संस्करण जादू का सा असर डालने वाली रहस्य, रोमांच, वासना और रोमांस से भरपूर राजघरानों की सच्ची कहानियां। प्रेम और बेवफ़ाई की दास्तानें, जो कई दशकों से अधिक फैली रहीं। ये महाराजाओं के भारत और यूरोप के हरमख़ानों, उनकी महारानियों और मलिकाओं और राजमहलों, घोड़ों, रोल्स रायस कारों, शेर के शिकारों, शाही दावतों और भव्य दरबारों की ऐसी कहानियां हैं, जो आपको अंत तक बांधकर ले जाएंगी। बेशक़ीमती बीते हुए ज़माने की शान - शौकत और शाही ख़र्चों की अंतर - कथाएं। यह किताब दीवान जरमनी दास की अंतरंग और मनमोहक शख्शियत की अंतर - कथा भी है, जो धनवान और मशहूर लोगों के साथ कंधा - से - कंधा मिलाकर चले। यह पहली बार प्राप्त अनुभवों की होशियारी से भरी पुनर्गणना है। बहादुरी, त्याग, प्रेम और बेवफ़ाई में शराबोर कहानियां महाराजा और महारानियों के अंतर - जगत के रहस्यों का उद्घाटन करती हैं। ये ब्रिटिश राज के पतन के अंतिम समय की घटनाएं हैं। दीवान जरमनी दास 1895 में पंजाब में पैदा हुए। वह कपूरथला और पटियाला में मिनिस्टर रहे। फ़र्राटेदार पंजाबी, उर्दू, अंग्रेज़ी और फ्रेंच बोलते थे तथा उन्हें वेटिकन और फ़्रांस, स्पेन, मोरक्को, मिस्र और कई दूसरे देशों की सरकारों ने उच्च सम्मानों से नवाज़ा। कपूरथला, पटियाला और भावलपुर रियासतों के शासकों ने भी उन्हें अंलकृत किया।
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