KAUTILYA ARTHSHASTRA ‘अर्थशास्त्र’ कौटिल्य यानी चाणक्य द्वारा रचित संस्कृत वाड्.मय का एक अद्भुत ग्रंथ है। इसका पूरा नाम ‘कौटिलीय अर्थशास्त्र’ है। चाणक्य सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रंथ की रचना की थी। यह मुख्यतः सूत्र-शैली में लिखा हुआ है। यह शास्त्र अनावश्यक विस्तार से रहित, समझने और ग्रहण करने योग्य सरल शब्दों में रचा गया है। ‘अर्थशास्त्र’ में समसामयिक राजनीति, अर्थनीति, विधि, समाजनीति तथा धर्मादि पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। अभी तक इस विषय के जितने भी ग्रंथ उपलब्ध हैं, वास्तविक जीवन का चित्रण करने के कारण उनमें यह सबसे अधिक मूल्यवान् है। इस शास्त्र के प्रकाश में न केवल धर्म, अर्थ और काम का प्रणयन तथा पालन होता है अपितु अधर्म, अनर्थ तथा अवांछनीय का शमन भी होता है। राजनीतिक, आर्थिक, विधि आदि सिद्धांतों को जानने-समझने और व्यवहार में लाने के लिए एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कृति।