जेबकतरे - अमृता प्रीतम Jebkatre (Hindi Book) by Amrita Pritam चीख सचमुच अशोक की थी, विनोद ने बताया। वे दोनों रात मुझसे पहले सो गए थे, इसलिए जल्दी जाग गए थे। अशोक पर ‘आर्ट-गैलरी’ वाली बात इस तरह छाई हुई थी कि सुबह होते ही वह झाडू लेकर दीवारें पोंछने लगा था। कोनों में रह गए जालों की तरफ देखते हुए जब उसने एक दीवार की खुली खिड़की की तरफ देखा था–सामने एक भयानक शक्ल थी, और अशोक की चीख निकल गई थी। पता लगा–पुरानी उजड़ी हुई हवेली में, रात की मोमबत्तियों की रोशनी ने, कोठी के आबाद होने की खबर दे दी थी,