Ichchao Ko Kare Bye Bye By Sirshri
इच्छाओ को करे बाय - बाय - सरश्री
हर इनसान की मूल चाहत है स्वयं को जानना किंतु अहंकार, अज्ञान, अध्यान और अनजाने में उसके अंदर ऐसी चाहतें उभरकर आती हैं, जिनकी कोई सच्ची बुनियाद नहीं है। अनगिनत और अनावश्यक इच्छाओं के भँवर में फँसकर इनसान का जीवन किस ओर जा रहा है, यह वह देख ही नहीं पा रहा है। मान्यता और माया के शिकंजे में उसके जीवन की क्वालिटी समाप्त होती जा रही है। इस पुस्तक द्वारा आप में ऐसी जागृति लाई जा रही है, जिससे आपका होश इतनी ऊँचाई पर जाए कि सूक्ष्म-से-सूक्ष्म इच्छा भी आपकी पकड़ में आए। इसके लिए आपको प्रेरणा पानी है एक चिडि़या से।
जिस तरह चिडि़या एक-एक तिनका चुनकर अपना आशियाना बनाती है, उसी तरह आपको भी अपनी एक-एक इच्छा के साथ खोज कर, उसके पीछे छिपी मान्य कथा को मिटाना है। ऐसे में जो शरीर रूपी आशियाना बनेगा, वह सेल्फ के लिए वाकई ध्यानकक्ष, मौनकक्ष, अभिव्यक्ति कक्ष, दर्पणकक्ष, एग्जीबीशन कक्ष होगा, जिसमें केवल आनंद-ही-आनंद होगा। शुभ इच्छा पूरी होने का आनंद!
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