SACH HUE SAPNE by RASHMI BANSAL हम भारतीयों ने गरीब, भूखे, निराश्रित व अभावग्रस्तों की समस्याओं के प्रति अपने दिल व दिमाग की खिड़कियाँ बंद कर रखी हैं—क्योंकि वह समस्या वस्तुत: 'हमारी’ नहीं है। मगर अब सोच बदल रही है। कुछ लोग समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो गए हैं और समाज में कुछ ठोस बदलाव लाना चाहते हैं। ये परिवर्तनशील लोग उद्यमियों की तरह सोचते हैं; बेहतर विश्व के निर्माण हेतु मैनेजमेंट के सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं। इसीलिए वे सामाजिक उद्यमी कहलाते हैं। ये लोग हम और आप जैसे आम लोग ही हैं, न कि मदर टेरेसा जैसे आप अपने जीवन में चाहे जिन समस्याओं से घिरे हों, बावजूद इसके कुछ समय समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के लिए भी निकालें। आपसी प्रेम, खुशी एवं शुभेच्छाओं का प्रसार करें। आप जितना अधिक देंगे, उससे अधिक ही पाएँगे। 'मैं’ के मकडज़ाल से निकलकर सामाजिक दायित्व-बोध से प्रेरित हो 'हम’ की भावना को विकसित करनेवाली 20 प्रेरणाप्रद कहानियों का संकलन है 'सच हुए सपने'।"