Geeta Mantra Gangotri By Mrudula Trivedi
गीता मंत्र गंगोत्री - मृदुला त्रिवेदी
गीता मंत्र गंगोत्री में दुर्लभ अदभुत और अनुभूत मंत्र प्रयोग, साधनाए तथा कतिपय महत्वपूर्ण परिहार परिज्ञान सुन्दर और सुरुचिपूर्ण स्वरूप में सन्निहित है जो संबन्धित विषय पर पाठकगणों के लिए हीरक हस्ताक्षर सिद्ध होगे। महर्षि वेदव्यास ने चार वेद, अटठारह पूर्ण एवं इक्कीस उपनिषदों के साथ - साथ महाभारत के महाकाव्य की संरचना करने पर कहा था की "मेरे ग्रन्थ के रहस्य को मैं जानता हु, शुकदेव जानते है, संजय जानता है अथवा नहीं, इसमें मुझे सन्देह है। कोई भी नहीं जानता। हे गणपति ! आप भी मेरे ग्रन्थ के मर्म को नहीं जानते। इस महाकाव्य महाभारत में जो नहीं होगा, वह विश्व में कही नहीं होगा। "
गीता मंत्र गंगोत्री बारह अध्यायों में व्याख्यायित -
1. सन्ध्योपासना : सूक्ष्म ज्ञातव्य तथ्य 2. भगवन श्री कृष्ण से संबंधित आराधना स्त्रोत 3. श्रीमदभगवद्गीता में सन्निहित मंत्रशक्ति एवं अनुष्ठान विधान 4. विपति विनाशक विविध मंत्र प्रयोग 5. विभिन्न कार्यो की संसिद्ध हेतु वेदविहित मंत्र 6. वैदिक सकत साधन अभिज्ञान 7. पति-पत्नी में संयोग हेतु अनुभूत परिहार परिज्ञान 8. केमद्रुम योग शमन 9. कालसर्पयोग दोष : परिहार परिज्ञान 10. पाप निवृति मंत्र आराधना 11. अकाल मृत्यु एवं असाध्य व्याधि से मुक्ति ही जीवन की शक्ति 12. श्राद्ध एवं मोक्ष, पितृ मातृ श्राद्ध विधान।