Duniya Jise Kahte Hain by Nida Fazali
निदा फ़ाज़ली उन दिनों से हिन्दी पाठकों के प्रिय हैं, जिन दिनों हिन्दी के पाठक मीर, ग़ालिब, इकबाल फ़िराक़, आदि के अलावा शायद ही किसी नये उर्दू शायर को जानते हों। आठवें दशक के आरम्भ में ही उनके अनेक शेर हिन्दी की लाखों की संख्या में छपने वाली पत्रिकाओं धर्मयुग, सारिका आदि के माध्यम से हिन्दी पाठकों के बीच लोकप्रिय हो चुके थे और अधिकांश हिन्दी पाठक उन्हें हिन्दी का ही कवि समझते थे।'दुनिया जिसे कहते हैं', में उनकी प्रसिद्ध और प्रतिनिधि ग़ज़लों और नज़्मों को शामिल किया गया है। बहुत-सी रचनाएँ हिन्दी के पाठकों को पहली बार पढ़ने को मिलेंगी। प्रयास किया गया है कि उनकी श्रेष्ठ रचनाओं का एक प्रामाणिक संकलन देवनागरी में सामने आए। मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली या मात्र निदा फ़ाज़ली (उर्दू: ندا فاضلی ) हिन्दी और उर्दू के मशहूर शायर थे। हिन्दी-उर्दू काव्य प्रेमियों के बीच समान रूप से लोकप्रिय और सम्मानित निदा फाजली समकालीन उर्दू साहित्य के उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। १९६४ में निदा काम की तलाश में निदा, उस समय बम्बई (मुंबई) चले गए और धर्मयुग, ब्लिट्ज़ (Blitz) जैसी पत्रिकाओं, समाचार पत्रों के लिए लिखने लगे। उनकी सरल और प्रभावकारी लेखनशैली ने शीघ्र ही उन्हें सम्मान और लोकप्रियता दिलाई। उर्दू कविता का उनका पहला संग्रह १९६९ में छपा। उनके लिखने के अंदाज ने फिल्मी दुनिया के दिग्गजों को कायल किया और फिर बॉलीवुड से जो रिश्ता बना हमेशा कायम रहा।