Dilip Kumar Ahadnama-E-Mohabbat By Saeed Ahmed (Biogrophy)
सईद अहमद ने दिलीप कुमार की ख़िदमत में अपना प्रेम प्रस्तुत करने का यह दिलचस्प अन्दाज अपनाया है कि उन्होंने उनकी कई फिल्मों को ‘सिल्वर स्क्रीन‘ की बजाय कागजों पर उतारा, जिनमें दिलीप कुमार ने अपनी आश्चर्यचकित कर देने वाली अदाकारी के जौहर दिखाये हैं। इस पुस्तक में उन संवादों और गीतों के वे शब्द तक मौजूद हैं जिनमें दिलीप कुमार ने अपने सर्वश्रेष्ठ होने का खूबसूरत इज़हार किया है। हर पटकथा कुछ ऐसे सलीके से पेश की गयी है कि वह साहित्यिक धरोहर कहलाने की हकदार हैं। कहानी पर गम्भीरता से समीक्षा की गयी है। और यूँ दिलीप कुमार की अदाकारी के अलावा फिल्म के निदेशक, कहानीकार व संवाद लेखन को लेखक ने खुलकर सराहा है। मेरी राय में फिल्म के किसी अदाकार बल्कि खुद फिल्म के फन की इतनी मालूमात बढ़ाने वाली और गहरी समीक्षा इससे पहले नहीं हुई।
सईद अहमद की समीक्षा रचनात्मक फन के करीब जा पहुँची है। फिल्मी शौक रखने वाला इनसान दिलीप कुमार की भरपूर अदाकारी और जनता के प्रति उनसे प्यार को महसूस करता है कि यह शख़्स तो अपनी जिश्न्दगी ही में लिजेण्ड बन चुका है मगर इस व्यक्तित्व के अलावा उसके साथ जुड़ी बातों को भी बराबर की अहमियत देकर सईद अहमद ने हकीक़त और इन्साफ की एक मिसाल कायम कर दी है।