बच्चो में नकारात्मकता तथा हीनभावना कैसे दूर करें ? - सूर्य प्रताप सिंह Bachcho Mein Nakaratmakta Tatha Hinbhavna Kaise Door Kare by Surya Pratap Sinh हीनभावना एक ऐसी भावना है, जो न केवल व्यक्ति को जीवन में सफल होने से रोकती है, बल्कि व्यक्ति को जीवन में प्रसन्न भी नहीं रहने देती। वैसे तो यह भावना वयस्क व्यक्तियों में भी पनपती है, लेकिन इस भावना के उत्पन्न होने का बहुत बड़ा कारण व्यक्ति के बचपन में मिले बुरे अनुभव होते हैं। इसीलिए किसी भी व्यक्ति के बचपन के अनुभव महत्वपूर्ण हो जाते हैं और बच्चे का पालन-पोषण बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इस पुस्तक में हीनभावना के विषय को दो भागों में बांटा गया है। पहले भाग में उन उपायों पर प्रकाश डाला गया है, जिन्हें अपनाकर बच्चों में हीनभावना को आने से रोका जा सकता है अर्थात् प्रयास इस बात का है कि हीनभावना आने ही न पाए। इस भाग में हीनभावना को आने देने से रोकने की जिम्मेदारी बड़ों पर होती है। दूसरे भाग में उन उपायों पर प्रकाश डाला गया है, जो तब किए जा सकते हैं, जब किसी के अंदर हीनभावना अपना घर बना लेती है अर्थात् प्रयास इस बात का है कि यदि किसी कारणवश हीनभावना आ भी गई है तो वह भाग जाए। ये उपाय बड़े बच्चों और युवाओं के लिए हैं। मनोविज्ञान जैसे विशेषज्ञता वाले विषय से जुड़ी इस विकट समस्या को पुस्तक में आसान शब्दों के जरिए समझाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक लिखते समय प्रयास किया गया है कि एक सामान्य व्यक्ति भी विषय को आसानी से समझ सके और छोटी-छोटी बातों तथा उपायों पर अमल करके, साथ में कुछ सावधानी बरतकर बच्चों में हीनभावना को पनपने से रोका जा सके। आशा है कि यह पुस्तक सामान्यजन के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।