Adaalat
अदालत - अमृता प्रीतम मैंने कई बार चांद की लौ में उसे देखा है, किसी टहनी पर उगने वाले पहले पत्ते में नदी के पानी में तैरते हुए मन्दिर के कलश में... अगर वह सचमुच मर गया होता—तो मेरी आँखों में यह पानी नहीं आ सकता था...