Abhiman Ko Kare Bye Bye By Sirshri
अभिमान को करे बाय - बाय - सरश्री
मैं कट सकता हूँ, मगर झुक नहीं सकता,’ यदि कोई इस विचारधारा में बह रहा है तो समझ लें, उसका पतन निश्चित है। ऐसे इनसान का अज्ञान चरम सीमा पर है। छोटे और अस्थायी लाभ में अटककर, वह सबसे मुख्य (पृथ्वी) लक्ष्य से दूर जा रहा है। ऐसी गलती किसी से न हो, इसलिए ‘अभिमान को अभी जान’ मंत्र द्वारा अहंकार को जड़ से काट दें।
वैसे देखा जाए तो बोलने, पढ़ने या समझने में अभिमान, स्वाभिमान और स्वभान एक से शब्द लगते हैं, लेकिन तीनों के मायने अलग हैं। अभिमान शब्द नकारात्मक है, जबकि स्वाभिमान शब्द सकारात्मक है, जो स्वानुभव, स्वभान की ओर ले जाने में मदद करता है।
अभिमान से निजात पाकर ही इनसान नम्रता की शक्ति प्राप्त करता है। नम्रता तब तक एक बड़ी शक्ति है, जब वह आत्मनियंत्रण और समझ से आई हो। नम्रता तब कमजोरी बनती है, जब वह अज्ञान और आसक्ति द्वारा लाई गई हो। नम्रता से दोस्ती करवाकर, अभिमान से मुक्ति पाने में यह पुस्तक आपकी मदद करेगी।
सबकुछ जान लेने के बाद तो आइए, अभिमान को करें बाय-बाय!
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