सामुद्रिक शास्त्र
Samudrik Shastra (Hindi) by C M Srivastava सामुद्रिक विधा का अर्थ है-मस्तक, हथेली, चरण ताल आदि के चिन्हो और रेखाओं द्धारा वयक्ति के गुण-स्वभावों की प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करना। इस शास्त्र की उपयोगिता असंदिग्ध और निर्विवाद हैं। इसमे पारंगत मनुष्य असाधारण क्षमता, अलैकिक दृष्टि, अदभुत वाणी और अतकर्य ज्ञान से संपन्न हो जाता है। सामुद्रिक शास्त्र का अध्येता किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसके गन, स्वभाव, शिक्षा, आर्थिक स्तर, आयु, परिवार जीवन की भावी घटनाओ के संबंध में भविष्यवाणी कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति मनुषय के अंगस्थ चिन्हो एवं रेखाओं का पृष्ट तथा विस्तृत ज्ञान प्राप्त कर ले, तो वह एक सफल भविष्यवक्ता के रूप में समाज के लिए सर्वपयोगी व्यक्ति बन सकता है। सामुद्रिक शास्त्र इतना रोचक एवं रहस्यपूर्ण, विस्मयकारी, प्रामाणिक और सरल ज्ञान है की एक साधारण व्यक्ति भी थोड़ा अभ्यास करके ऐसे सिख सकता है।